>> शनिवार, फ़रवरी 09, 2013

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prabhakarvani: भारतिय समाज की दुर्दशा के जिम्मेदार

>> शुक्रवार, दिसंबर 09, 2011

राष्ट्रभक्त जनता से निवेदन - आज जब हम अपने देश मेँ इतनी गरीबी देखते हैँ,हर जगह समस्याओँ का अम्बार लगा है,इसे सुधारने के लिये हमेँ जड़ से सुधार करना होगा सबसे पहले 1- अपने देश का नाम इन्डिया से बदल कर भारत वर्ष करना होगा ये काम किये बिना हमारे देश मेँ कोई सुधार सफल नहीँ हो पायेगा 2-नेहरु और माऊँटबेटन के बीच हुयी 'ट्राँसफर आफ पावर एग्रिमेन्ट 1947' की मूल प्रति की फोटोकापी R.T.I. से प्राप्त करके आम जनता को नेट पर और पुस्तक(हिन्दी अनुवाद) रुप मेँ उपलब्ध कराया जाये 3- जवाहर लाल नेहरु पर देश के साथ गद्दारी करने का निष्पक्ष मुकदमा चलना चाहिये और अपराध साबित होने पर दिया गया भारत रत्न वापस लिया जाना चाहिये 4-नेता जी सुभाष चन्द्र बोस और लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय मृत्यू और गायब होने से संबधित सभी दस्तावेज और पत्र सार्वजनिक किये जायेँ और नेट पर हिन्दी अनुवाद के साथ उपलब्ध कराये जायेँ, अधिक जानकारी के लिये आप सब ब्लाग WWW.NAZ E HIND SUBHAS.BLOGSPOT.COM अवश्य पढ़ेँ क्या आप उस व्यक्ति को भारत रत्न दिये जाने का समर्थन करेँगे जिसने अँग्रेजोँ को लिखित आश्वासन दिया था कि सुभाष चँद्र बोस को गिरफ्तार करके अँग्रेजोँ को सौँप दिया जायेगा, सोचिये कि जवाहर लाल नेहरु को मिला भारत रत्न क्या नेता जी की देशभक्ति और देश के लिये उठाये गये कष्टोँ का अपमान नहीँ है,सोचिये कि नेता जी के इस अपमान का बदला कैसे ले सकते हैँ? केवल नेहरु पर राष्ट्रद्रोह का निष्पक्ष मुकदमा चला कर और अपराध साबित होने पर भारतरत्न वापस ले कर ही हमारी आत्मा को शाँति मिलेगी (जयहिन्द) कृपया अपने विचार अवश्य बतायेँ कमेन्ट्स दे कर

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Etips-Blog: ओपेरा मिनी 4.3-Opera Mini 4.3

>> सोमवार, अप्रैल 11, 2011

Etips-Blog: ओपेरा मिनी 4.3-Opera Mini 4.3

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भारतिय समाज की दुर्दशा के जिम्मेदार

>> सोमवार, मार्च 14, 2011

भारत देश की वर्तमान दुर्दशा के जिम्मेदार हमारे देश (समाज) के तथाकथित महापुरुष हैँ जिन्होँने कभी सच को सच नहीँ कहा और गलत को गलत कहने का साहस भी हमारे इन महापुरुषोँ मेँ नहीँ था।मेरे विचार से पूर्ण दोष रहित और श्रेष्ठता के क्रम मेँ सबसे ऊपर सरदार भगत सिंह हैँ वह केवल एक जोशीले नौजवान ही नहीँ बल्कि गहन चिन्तन करने वाले विचारक भी थे, मात्र 23 वर्ष की उम्र मेँ 23मार्च 1931को फाँसी पर चढ़ने से पहले उन्होँने जितना भी साहित्य लिखा है जैसे कि "अछूत समस्या" और जेल मेँ रहते हुये 5अक्टूबर 1930 को लिखा गया "मैँ नास्तिक क्योँ हूँ" जिसे पढ़ कर कोई भी आस्तिक इस लेख मेँ दिये गये तर्कोँ का जवाब नहीँ दे सकता है।सभी व्यक्तियोँ को इस लेख को पढ़ना और विचार करना चाहिये लेकिन लोग तर्क नहीँ कुतर्क करते हैँ और अपने पुराने गलत विचारोँ को बदलने को तैयार नहीँ होते हैँ (शेष भाग अगली बार)14 मार्च 2011

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खबरों का अड्डा: मशीनी जुगाड़ रोकेगा जमीनी खिलवाड़

>> गुरुवार, जनवरी 13, 2011

खबरों का अड्डा: मशीनी जुगाड़ रोकेगा जमीनी खिलवाड़: "अत्याधुनिक मशीन खरीदने की कवायद नाप-जोख में इस्तेमाल होगा ईटीएस व जीपीएसपटवारियों का बचेगा समयकोई नहीं उलझेगा आंकड़ों में चूरू, 29 दिसम्बर।..."

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